इस लेख में किसी कुँवारी लड़की के साथ पहली बार सम्पूर्ण सम्भोग की विधि बताई गई है। इसे हिन्दी में
कौमार्य-भंग, योनिछेदन, सील तोड़ना व अंग्रेज़ी में Deflowering कहते हैं। यह किसी भी लड़की के लिए उसके
जीवन की एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण घटना होती है जिसे वह ज़िंदगी भर नहीं भूल सकती।
यह एक ऐसा अवसर होता है जिसकी वह तब से कल्पना कर रही होती है जब से उसके बदन में यौन-कामुकता का जन्म
होता है और वह अपने स्त्रीत्व का अनुभव करने लगती है। अकसर लड़कियाँ अपनी शादीशुदा या अनुभवी सहेलियों
से इस बारे में चर्चा करती हैं... और यह भी देखा गया है कि ज़्यादातर लड़कियाँ अपने अनुभव बढ़ा-चढ़ा कर ही बयान
करती हैं जिससे उनके मर्द पर आंच ना आए। अपनी सहेलियों की मधुर कहानियाँ सुन कर लड़कियों के
मन में लुभावने सपनों का जन्म होना स्वाभाविक है। अब यह पुरुषों पर निर्भर है कि वे अपनी प्रेयसी या पत्नी के भोले
और बरसों से संजोये हुए सपनों को कितना साकार कर पाते हैं या उन्हें कुचल देते हैं। किसी लड़की का कौमार्य भंग करना पुरुष के लिए एक बहुत ही ज़िम्मेदारी का काम होता है। उसे इस मौक़े को उतनी ही तवज्जोह देनी चाहिए जितनी किसी पूजा
को दे जाती है। उसे लड़की के लिए यह मौक़ा हमेशा के लिए यादगार बनाना चाहिए। उसे इस दिशा में हर वह प्रयत्न
करना चाहिए जिससे लड़की अपना सबसे मूल्यवान उपहार उस पुरुष को देते हुए खुश हो। पुरुष के लिए यह इतना कठिन
काम नहीं है क्योंकि एक कुँवारी लड़की की अपेक्षाएं ज्यादा नहीं होतीं। वह यौन के सुखों से अब तक अनभिज्ञ
होती है और उसके मन में आकांक्षा, व्यग्रता, चिंता और डर जैसे कई विचार घूम रहे होते हैं। पुरुष का कर्तव्य बनता है कि
वह उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए बड़े प्यार से उसको धीरे धीरे इस नई डगर पर ऐसे ले जाए कि वह उसके साथ बार-
बार उस डगर पर चलना चाहे। # सुहागरात की तैयारी मर्दों और लड़कियों दोनों के लिए सबसे ज़रूरी तैयारी है
अपनी शारीरिक स्वच्छता या सफाई। यौन सम्भोग एक ऐसा मिलन है जिसमें हमारा संपर्क एक दूसरे के पूरे अंग से होता है। तो लाज़मी है कि हमारा पूरा शरीर एकदम साफ़ हो। गुप्तांगों की सफाई तो ज़रूरी है ही, साथ ही साथ हमारे बाकी अंग, खास तौर से मुँह, जीभ और बगलें साफ़ होना बहुत आवश्यक हैं। बेहतर होगा अगर दोनों जने बिस्तर पर जाने से पहले नहा लें।
लड़कियों को चाहिए कि अपनी योनि, गुदा, नाभि और स्तनों को अच्छे से धो लें और लड़कों को अपने लिंग को अच्छे
से साफ़ कर लेना चाहिए। अगर लिंग खता हुआ नहीं है (uncircumcised) तो उसके सुपाड़े की परत को जांच लेना चाहिए। कई बार वहाँ गंदगी (smegma) छिपी होती है जो दिखती नहीं है। शरीर से कोई दुर्गन्ध नहीं आनी चाहिए। मेरी सलाह है कि शरीर पर कोई खुशबू (इत्र, सेंट, डियो इत्यादि) लगाने की ज़रूरत नहीं है। सिर्फ साफ़-सुथरा बदन ही काफी है जिससे हमारे
बदन की प्राकृतिक गंध (Pheromones) नष्ट ना हो जाए जो यौनाकर्षण में एक अहम भूमिका निभाती है। हाँ, लड़कों
को अपनी उँगलियों के नाखून छोटे कर लेने चाहिए और यकीन करना चाहिए कि वे नुकीले नहीं हैं। नाखून काटने के
बाद उन्हें फ़ाइल कर लेना चाहिए वरना अनजाने में लड़की के गुप्तांगों को ज़ख़्मी कर सकते हैं। इसके अलावा यौन संसर्ग के लिए आवश्यक है कि एक शीतल कमरा हो जिसमें एक आरामदेह बड़ा बिस्तर हो। कमरे के साथ बाथरूम लगा हुआ हो जिसमें ठण्डे और गर्म पानी का बंदोबस्त हो। गोपनीयता और एकांत के लिए गहरे परदे और मंद रोशनी बेहतर रहेगी। बिस्तर पर तीन-चार तकिये और एक-दो तौलिए होने चाहिए। कुछ लोगों की राय में वातावरण को रूमानी बनाने के लिए सुगन्धित
मोमबत्तियाँ और हल्का संगीत होना चाहिए। मैं इसे ज़रूरी नहीं समझता। अगर हो सके तो ठीक है पर ज़रूरी नहीं
है। मेरी राय में जब लड़का-लड़की यौन के आवेश में आ जाते हैं तो उनकी सब इन्द्रियाँ सिर्फ सम्भोग पर केंद्रित हो जाती
हैं और वातावरण की सुगंध या संगीत का अहसास उन्हें कतई नहीं होता। किसी भी सम्भोग के पहले पेट हल्का होना चाहिए। तो, दोनों को हल्का भोजन करना चाहिए और कच्चा प्याज- लहसुन से परहेज़ करना चाहिए जिससे मुँह से दुर्गन्ध ना आये।
वैसे भी खाना खाने के बाद मुँह अच्छे से साफ़ कर लेना चाहिए। अमूमन लोग सोचते हैं कि संभोग का मज़ा बढ़ाने के लिए
मदिरा-पान कर लेना चाहिए। पर यह ना तो ज़रूरी है और ना ही मैं इसकी सलाह देता हूँ। मैं मदिरा-पान के खिलाफ
नहीं हूँ और एक-आध पैग में कोई बुराई भी नहीं है परन्तु यौन का मज़ा जो पूरे होशो-हवास में आता है वह नशे की हालत
में कहाँ आ सकता है। यौन तो खुद ही सर्वोत्तम नशा है..... फिर शराब का सहारा किस लिए ? वैसे भी डॉक्टरों का
मानना है कि शराब लिंग के लिए उत्तेजक नहीं बल्कि एक अवरोधक का काम करता है। शराब के बाद पुरुष सेक्स के बारे
में बातें तो बहुत कर सकता है पर उसकी पौरुष शक्ति क मज़ोर हो जाती है और कई बार वह सम्भोग में विफल भी हो
सकता है। हाँ, एक और बात.... अपने मोबाइल फोन बंद करना ना भूलें वरना वे ऐसे समय बजेंगे कि सारा मज़ा किरकिरा हो
जायेगा। # शुरुआत पुरुष के लिए ज़रूरी है कि वह किसी बात के लिए जल्दबाज़ी न दिखाए। भले ही लड़का-लड़की पहले से एक दूसरे को जानते हों या फिर पहली बार एकांत में मिल रहे हों..... शुरुआत में दोनों को एक अजीब सी झिझक होगी। लड़की को खास तौर से काफी संकोच और असमंजस हो सकता है .... थोड़ी-थोड़ी घबराहट भी हो सकती है। कुछ मर्द भी
ऐसे मौक़ों पर घबराहट महसूस कर सकते हैं खास तौर से वे जिन्हें अपना लिंग छोटा लगता हो या जिन्हें शीघ्र-पतन
का डर हो। मेरी राय में दोनों को ही अपनी शंकाओं पर काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए और प्रकृति की इस
नायाब अनुभूति का आनन्द उठाने का प्रयास करना चाहिए। बेहतर होगा अगर शुरुआत बातचीत से की जाये। पुरुष को
पता होना चाहिए कि सेक्स के प्रांगण में हर तरह की पहल उसे ही करनी होती है। लड़की को ऐसे मौक़े पर लज्जा और
झिझक ही शोभा देती है। ठीक तरह से बातचीत करने के लिए भी पहले से तैयारी करना बेहतर होगा। पुरुष को
चाहिए कि इस बारे में पहले से सोच ले क्या क्या बात करनी है वरना उस वक्त दिमाग धोखा दे सकता है।
अकसर लड़कियों को अपने घरवालों की और खुद की तारीफ सुनना अच्छा लगता है। अगर सुहाग-रात शादी के
बाद मनाई जा रही है तो अकसर लड़की काफी थकी हु
होती है .... उसकी थकान दूर करने के लिए पुरुष उसके हाथ,
कंधे, बाजू, सिर इत्यादि दबाने के बहाने उसको छू सकता है।
इससे शुरू-शुरू की झिझक तोड़ने में सहायता मिलेगी और
लड़की को साहस भी मिलेगा। इन दो बातों को ध्यान में
रखते हुए कुछ इस तरह से बातचीत शुरू की जा सकती है :-
मानो लड़की का नाम मीना है,
"वाह मीना ! मैं बहुत खुशनसीब हूँ ........"
(मीना कुछ नहीं कहती)
"जो तुम मुझे मिली हो ...."
(मीना कुछ नहीं कहती)
"तुम्हारे मम्मी-पापा कितने अच्छे हैं ..... दोनों अभी भी
जवान लगते हैं ... !"
(मीना ज़रूर मुस्कुराएगी)
कुछ देर उसके माँ-बाप, भाई-बहन की तारीफ करने के बाद .....
"मीना .... तुम्हारा नाम मुझे बहुत अच्छा लगता है .....
छोटा सा ... मैं तुम्हें प्यार में या गुस्से में .... दोनों में
आसानी से बुला सकता हूँ !!" (फिर नाटकीय ढंग से उसका
नाम एक बार प्यार से और एक बार गुस्से से लेकर दिखाओ।
वह ज़रूर हँस पड़ेगी)
"तुम हँसती हुई ज्यादा अच्छी लगती हो .... तुम्हें पता भी है
तुम्हारे गाल और होंठ कैसे खिल जाते हैं !" (इस समय उसके
गाल पर चुम्बन ले सकते हैं)
"मुझे लगता है तुम बहुत थक गई हो ...... लाओ, मैं तुम्हारी
थकान दूर कर दूं।"
(यह कहते हुए उसके कंधे, या हाथ या सिर को पकड़ कर
सहलाना शुरू किया जा सकता है। अगर वह शरमाये या
आनाकानी करे तो भी पुरुष को दृढ़ता से उसे पकड़ कर प्यार
से सहलाना या दबाना चाहिए)
# चीर-हरण
सम्भोग से पहले लड़की को निर्वस्त्र करना एक ऐसा अवसर है
जो दोनों को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है। इस अवसर
का सही उपयोग करना चाहिए। अगर पुरुष लड़की का
शरीर दबा कर उसकी थकान मिटाने में जुटा है तो वह
आसानी से धीरे धीरे उसके कपड़े इस तरह अलग कर सकता है
मानो वे उसके रास्ते में आ रहे हों। लड़की का चीर-हरण धीरे
धीरे करना चाहिए। अकसर लड़कियाँ ऊपरी कपड़े उतरवाने
में ज्यादा संकोच नहीं करतीं पर पहली बार किसी के
सामने ब्रा और पैन्टी उतरवाने में शर्म के कारण आपत्ति कर
सकती है। अगर ऐसा होता है तो पुरुष को लड़की की इच्छा
की कद्र करनी चाहिए और रुक जाना चाहिए। इस समय वह
खुद अपने आप को निर्वस्त्र कर सकता है। कुछ लड़कियों को
रोशनी में नंगा होने से संकोच होता है तो उजाला कम कर
देना चाहिए ... पर बिलकुल अँधेरा ठीक नहीं है।
हालाँकि मेरा यह मानना है कि सच्चा पुरुष वही है जो
स्त्री की इच्छाओं की कद्र करे और उसकी भौतिक
कमजोरी का नाजायज़ फ़ायदा ना उठाये। पर यह भी
सही है कि पुरुष को दृढ़ता से वे सब काम करने चाहिए जो
कि उचित और ज़रूरी हों। अगर लड़की को ज्यादा ही
संकोच या आपत्ति हो तो उसे अपना हक़ जता कर या
ज़रूरत हो तो थोड़ा बल इस्तेमाल करके लड़की को सही
मार्ग पर लाना चाहिए। इसका मतलब यह कदापि नहीं है
कि लड़की का बलात्कार किया जाये .... आशा है पाठक
मेरा उद्देश्य समझ गये होंगे।
# सम्भोग
सम्भोग का उद्देश्य तो सब जानते हैं .... पुरुष के लिंग का
स्त्री की योनि में प्रवेश और फिर जितनी ज्यादा देर हो
सके मैथुन करना। इस उद्देश्य को पाने के लिए पुरुष के लिंग और
स्त्री की योनि को सम्भोग के लिए तैयार होना
चाहिए, अर्थात पुरुष का लिंग सख्ती से खड़ा होना
चाहिए और लड़की की योनि भीगी हुई होनी चाहिए।
प्रकृति ने इसका प्रावधान किया हुआ है और जब भी
स्त्री-पुरुष यौनाग्नि से उत्तेजित होते हैं तो स्वतः ही
उनके यौनांग सम्भोग के लिए तत्पर हो जाते हैं। लेकिन
वर्षों के सामाजिक प्रतिबंधों और सांस्कारिक बंदिशों
के कारण हमारी लड़कियों में यौन के प्रति भांति भांति
की गलत धारणाएं हैं जो उन्हें यौन-संसर्ग के आनन्दों को लूटने
से रोकती हैं। अतः जहाँ पुरुष यौन-आवेश में आसानी से
उत्तेजित हो जाता है वहीँ हमारी स्त्री संकुचित रह
जाती है जिससे उसकी इन्द्रियाँ अपना प्राकृतिक काम
नहीं कर पातीं। इससे उसकी योनि में रस-संचार में देरी
लगती है और वह सम्भोग के लिए जल्दी तैयार नहीं हो
पाती। यह दोष प्राकृतिक नहीं बल्कि सामाजिक है।
पुरुष को इस बात का ध्यान रखना चाहिए और स्त्री को
धीरज के साथ यौन के लिए तैयार करना चाहिए।
# लड़की को उत्तेजित करना
लड़की को उत्तेजित करना आसान है पर इनकी उत्तेजना का
स्रोत मर्दों से परे होता है। हमारी पाँच मूल इन्द्रियाँ हैं
..... दृष्टि, श्रवण, स्पर्श, स्वाद और गंध। वैसे तो मैथुन में सभी
इन्द्रियों का प्रयोग होता है लेकिन स्त्री-पुरुष में
उत्तेजना पैदा करने में इन्द्रियों का योगदान अलग-अलग
होता है। मर्दों में दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण होती है और उसके
बाद स्पर्श। मर्दों को उकसाने में गंध, श्रवण और स्वाद बहुत
कम असर करते हैं। स्त्रियों में स्पर्श सबसे अधिक कारगर
होता है और इसके बाद क्रमशः श्रवण, गंध, दृष्टि और स्वाद आते हैं। इसीलिये नंगी लड़की की तस्वीर या ब्लू-फिल्म
देखकर लड़के आसानी से उत्तेजित हो जाते हैं जबकि
लड़कियाँ नहीं होतीं। उन्हें उत्तेजित होने के लिए प्यारे
प्यारे स्पर्श के साथ अच्छी अच्छी बातें सुनना और
सुगन्धित वातावरण ज़रूरी हैं। एक सफल आशिक़ इस
बारीकी को अच्छी तरह समझता है।
मतलब यह कि लड़की को नंगा करके, उसे आरामदेह बिस्तर पर
लिटा कर, उससे प्यार भरी बातें करते हुए उसके शरीर पर
हल्के-हल्के हाथ फेरना चाहिए। अगर बिस्तर के पास ताज़ा
फूलों का गुलदस्ता और कुछ भीनी अगरबत्तियाँ हों तो
अच्छा रहेगा। इस तरह लड़की की सही इन्द्रियों का
उपयोग होगा और मर्द की उपयुक्त इन्द्रियों का भी
क्योंकि वह नंगी लड़की को देख और छू रहा होगा। उससे
प्यार भरी बातें करना बहुत ज़रूरी है। लड़की की कामुकता
जगाने के लिए उसके कान और मर्द के हाथ और उँगलियाँ बहुत
काम आते हैं।
पहले लड़की को उलटा लिटा दो। उसकी बाजुओं को बदन
से थोड़ा अलग कर दो और टांगों को भी थोड़ा खोल दो।
फिर उसके पास बैठ कर उसकी पीठ पर अपने हाथ फिराओ।
पीठ के बीच से शुरू करते हुए अपनी उँगलियों और नाखूनों से
पीठ पर गोलाकार रेखाएँ खींचो। साथ ही झुक-झुक कर
उसकी गर्दन और पीठ पर अपने होंठों से चुम्बन करो। अब
अपनी उँगलियाँ पीठ से हटा कर उसकी दोनों बगलों पर
चलाओ। इससे उसको गुदगुदी होगी और वह इधर-उधर
हिलेगी। धीरे-धीरे अपने हाथों को उसके नितंब (चूतड़) और
जाँघों से बचाते हुए टांगों पर ले आओ। कुछ देर उसकी
पिण्डलियों और टांगों पर हाथ फिराओ और फिर उसके
पैर के तलवों को सहलाते हुए उसके पाँव की उँगलियों के बीच
अपनी उँगलियाँ घुसा कर उनकी मालिश करो। बीच-बीच
में नीचे झुक कर उसके बदन पर इधर-उधर चुम्मियाँ लेते रहो,
साथ ही उससे कुछ ना कुछ प्यारी बातें कहते रहना अच्छा
रहेगा।
अब, अपने हाथ उसके पाँवों से सरका कर उसकी जाँघों और
नितंब पर ले आओ। यह बहुत ही संवेदनशील हिस्सा है और
लड़की ज़रूर कसमसाएगी। उसकी कसमसाहट का आनन्द लेते
हुए उसके इस हिस्से से खिलवाड़ करो। अपने हाथों और
उँगलियों से इस पूरे इलाक़े का निरीक्षण करो। वह अपनी
टाँगें भींचने का प्रयत्न करेगी पर उन्हें थोड़ा खुला ही रखो
और उसकी जाँघों के मर्मशील हिस्से को ऊँगली के सिरे
और नाखूनों से सहलाओ। अब, एक-एक बड़ी पुच्ची उसके
दोनों चूतड़ों पर जमाओ और एक ऊँगली उसके बीच की दरार
में डाल कर ऊपर से नीचे तक एक-दो बार चलाओ। ध्यान रहे
कि अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल निरंतर होना
चाहिए। अगर एक हाथ नितंब के लिए काफी है तो दूसरा
हाथ पीठ पर चला सकते हो।
लड़की के बदन के पूरे पिछवाड़े को सहलाने के बाद उसको पलट
कर सीधा कर दो। हो सकता है लज्जा-वश वह अपनी टाँगें
सिकोड़ ले और अपने हाथों से अपने स्तन ढक ले। ऐसे में दृढ़ता से
उसकी टाँगें सीधी करो और उसके हाथों को हटा कर बगल
के साथ कर दो। उसके हाथ उठा कर उसके सिर के पास कर
दो तो और भी अच्छा रहेगा।
अब जैसे पीठ पर किया था वैसे ही उसके पेट पर एक हाथ
फेरना शुरू करो और दूसरे से उसके सिर के बाल सहलाओ। साथ
ही उसके माथे, आँखों, नाक, कान और ठोड़ी पर पुच्चियाँ
करो। लड़कियों के कान और उनके पीछे का इलाका उन्हें
बहुत गुदगुदाता है, वहाँ पुच्ची करो।
अभी उसके होंठों पर चुम्बन ना करो ....
अब अपना ध्यान उसकी टांगों और पाँव पर ले जाओ और
प्यार से उन पर हाथ फिराओ। उसके तलवे गुद्गुदाओ और उसके
घुटनों पर अपनी हथेलियाँ जमा कर गोल-गोल घुमाओ।
अपने पोले-पोले हाथों और नाखूनों से उसकी जाँघों को
कुरेदो। अधिकांश लड़कियाँ इस समय तक कामुकता में लोप
हो गई होती हैं.... उनके दिल की धड़कन और साँसें तेज हो
जाती हैं, बदन अकड़ने सा लगता है, स्तन उभरते हैं और स्तनाग्र
पैने होने लगते हैं। जब ये संकेत मिलने लगें तो समझ लो लड़की
लगभग तैयार है। अधिकांश मर्द इस पूरी क़वायद के दौरान
उत्तेजित ही रहते हैं।
अब एक तकिया लड़की के नितंबों के नीचे रख कर उसे थोड़ा
उठा दो और खुद उसके घुटनों और जाँघों के बीच बैठ जाओ।
अपना वज़न उसकी टांगों पर न डालो। अब आगे झुक कर उसके
स्तनों को दोनों हाथों में लेकर प्यार से मसलना और
सहलाना शुरू करो, साथ ही उसके होंठों पर अपना मुँह रखकर
प्यार करो। अपनी जीभ से उसके मुँह को खोल कर जीभ अंदर
डालने की कोशिश करो और फिर उसकी जीभ से
खिलवाड़ करो। इस अवस्था में तुम्हारे हाथ रास्ते में आ
सकते हैं तो उन्हें हटा कर लड़की को लेटे-लेटे ही आलिंगन में ले
लो और अपने सीने से उसके स्तनों को मलो। अब तुम्हारा पेट
उसके पेट को छू रहा होगा। ज़्यादातर लड़कियाँ इस समय
अपनी टाँगें स्वतः खोल कर मोड़ लेती हैं। अगर वह ना करे
तो अपने पाँव और घुटनों से उसकी टाँगें खोल दो। उसके मुँह,
गर्दन और स्तनों पर पुच्चियाँ करते हुए अपना एक हाथ उसकी
योनि पर ले जाओ। उसकी योनि के इर्द-गिर्द उंगली
फिराते हुए उसके कटाव में हलके से दबाव डालो। लगभग सभी
लड़कियों की योनि इस समय भीगी हुई मिलेगी। अगर
भीगी है और मर्द का लिंग भी तैयार है तो सम्भोग हो
सकता है।
अगर पुरुष के लिए यह सम्भोग का पहला मौक़ा है तो सकता
है उसे स्त्री के यौनांगों का ठीक से ज्ञान ना हो और वह
अपने निशाने से चूक सकता है या फिर गलत निशाना लगा
सकता है। कुछ मर्द इतने नादान होते हैं कि वे गुदा को ही
अपना लक्ष्य समझते हैं। शायद वे सोचते हैं कि योनि सिर्फ
पेशाब के लिए होती है और उनका मोटा लिंग उसमें नहीं
घुस पाएगा। जबकि कुछ मर्दों को यह गलत धारणा नहीं
होती और उन्हें मालूम भी होता है कि उन्हें योनि को ही
भेदना है पर उन्हें उस छेद को अपने लिंग के सुपारे से ढूँढना नहीं
आता।अच्छा होता अगर भगवान ने एक आँख मर्दों के सुपारे
पर भी लगाई होती !!
जो पुरुष पहली बार यह कर रहे हों उनके लिए लाज़मी है या
तो लड़की उनके लिंग को पकड़ कर सही छेद पर टिका दे पर
अगर वह शर्मीली है तो पुरुष अपनी उंगली से छेद को टटोल ले
और फिर वहीं अपने सुपारे को टिका दे।
# आदर्श आसन
वैसे तो सम्भोग के लिए कई आसन हैं पर पहली बार के लिए एक
ऐसा आसन होना चाहिए जो दोनों के लिए सरल हो,
जिसमें मर्द का नियंत्रण रहे और जिसमें गहराई तक लिंग
प्रवेश मुमकिन हो। इसके लिए लड़की पीठ के बल नीचे लेटी
हो और मर्द उसके ऊपर हो (missionary position) उचित है।
इसीलिए मैंने अपने पात्रों को इस अवस्था में छोड़ा है।
अब बहुत ही अहम समय आ गया है जब लड़का अपना लिंग
लड़की की योनि में डालने की कोशिश करेगा। लड़के को
उठ कर लड़की की टांगों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ
जाना चाहिए और लड़की के नीचे रखे तकिये के सहारे उसके
नितंबों को पर्याप्त ऊँचाई देनी चाहिए। अगर तकिया
पतला है तो दो तकिये ले सकते हैं। अब लड़की की टाँगें पूरी
तरह खोल कर चौड़ी कर देनी चाहिए और लड़के को घुटनों के
बल आगे-पीछे खिसक कर अपने आप को सही जगह ले आना
चाहिए जिससे उसका लिंग योनि में आसानी से प्रवेश कर
सके। ज़रूरत हो तो लड़की की टाँगें उठा कर मर्द के कन्धों पर
भी रखी जा सकती हैं। इससे लिंग काफी गहराई तक अंदर
जा सकता है। अब अपनी उंगली से मर्द को योनि का
मुआयना करते हुए उसके छेद का पता लगा लेना चाहिए।
फिर आगे झुक कर अपना सुपाड़ा उंगली की जगह रख कर
टिका देना चाहिए। यह सुनिश्चित कर लें कि योनि
भीगी हुई है वरना अपने थूक से या तेल से लिंग को गीला कर
लें। अब सब तैयार है।
इस समय लड़की का संकुचित होना स्वाभाविक है। वह
आकांक्षा और आशंका से जूझ रही होती है। पुरुष को
चाहिए कि वह उसे दिलासा दे, उसका साहस बढ़ाये तथा
उसे आश्वस्त करे कि वह उससे प्यार करता है और उसे तकलीफ
नहीं पहुँचाएगा।
इसके लिए कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है .... सिर्फ प्यार से उसके
सिर और बदन पर हाथ फेरना काफी होगा।
अब पुरुष के प्रहार करने की घड़ी आ गई है। उसे आगे झुक कर
लड़की के कन्धों को विश्वासपूर्वक पकड़ लेना चाहिए
जिससे वह ज्यादा हिल-डुल ना सके। फिर अपने सुपारे पर
शरीर द्वारा इस तरह दबाव बनाना शुरू जिससे सुपारा
योनि में घुसने लगे।
अब लड़की की प्रतिक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। उसके
लिए यह एक नया अनुभव है और उसके मन का डर उसे रुकने के
लिए उकसाएगा। थोड़ी बहुत आपत्ति को तो नज़रंदाज़ कर
सकते हैं पर अगर लड़की को ज्यादा तकलीफ हो रही हो तो
पुरुष को रुक जाना चाहिए। कुछ देर अंदर की ओर दबाव
बनाये रखने के बाद ढील देनी चाहिए और फिर से उतना ही
दबाव बनाना चाहिए। लड़की को धीरे-धीरे सुपारे को
योनि-द्वार में महसूस करने और उसके आकार को भांपने का
मौक़ा देना चाहिए जिससे वह शारीरिक और मानसिक
रूप से अपने आप को ढाल सके। आखिर वह भी सम्भोग के लिए
उतनी ही लालायित है अपितु आशंकित भी है।
दो-तीन बार इस तरह दबाव डालने से योनि-द्वार थोड़ा
खुल सा जाएगा और सुपाड़ा उसमें फंसने लगेगा। अब और
अधिक प्रवेश तब ही हो पाएगा जब लिंग योनि की
कौमार्य-झिल्ली को भेदे। इसके लिए पुरुष को अपना लिंग
इतना बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे कि सुपाड़ा
योनि-द्वार का रास्ता ना खो जाये। फिर स्त्री के
शरीर को कसकर पकड़ कर और उसे बिना किसी चेतावनी
दिए एक ज़ोरदार धक्का अंदर की ओर लगाना चाहिए।
इससे लड़की को दर्द तो ज़रूर होगा पर और उसकी झिल्ली
का पतन आसानी से हो जायेगा। लिंग को एक झटके में अंदर
डालने से दर्द भी क्षणिक ही होगा। झिल्ली-भेदन से कुछ
खून भी निकल सकता है जो कि किन्हीं कारणों से मर्दों
को बहुत अच्छा लगता है। पर इस रक्त-प्रवाह से घबराने की
बात नहीं है। यह झिल्ली के फटने से हुआ प्रवाह है जो
थोड़ी देर में अपने आप रुक जायेगा। अगर यह खून ना निकले
तो ज़रूरी नहीं कि लड़की कुंवारी नहीं है। लड़कियों की
झिल्ली सिर्फ सम्भोग से ही नहीं कई और कारणों से भी
फट सकती है जैसे घुड़-सवारी, साइकिल चलाना,
योगाभ्यास, जिमनास्टिक्स या कोई दुर्घटना। इसलिए
मर्द को लड़की के चरित्र पर सोच-समझ कर शक करना
चाहिए।
कौमार्य-झिल्ली योनि-द्वार से करीब एक इंच की
गहराई में होती है अतः इसे भेदने के लिए पूरा लिंग अंदर
डालने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी एक कुंवारी योनि में एक
विकसित लिंग को एक ही झटके में पूरा अंदर डालना
नामुमकिन सा है। यह तो तभी संभव है जब कोई खूंखार मर्द
किसी अबला लड़की का बेरहमी से बलात्कार करे।
इस अचानक किये प्रहार के बाद पुरुष को लड़की को प्यार
से आलिंगन-बद्ध कर लेना चाहिए और उसे देर तक पुचकारना
चाहिए। इस पूरे समय उसे अपना लिंग बाहर नहीं
निकालना चाहिए जिससे योनि को उसे ग्रहण करने का
और अपने आकार को समायोजित करने का समय मिले। जब
लगे कि लड़की अब संभल गई है तो लड़के को धीरे-धीरे दो-
तीन बार लिंग को अंदर-बाहर करना चाहिए। इस समय
लिंग को उतना ही अंदर ले जाएँ जितना पहले झटके में गया
था।
जब योनि इस घर्षण को स्वीकार करने लगे तो धीरे-धीरे
लिंग को निरंतर बढ़ती हुई गहराई से अंदर डालना शुरू करना
चाहिए। यह पुरुष के लिए एक बहुत ही आनन्ददायक अहसास
होता है जब उसका सुपारा योनि की अंदर से चिपकी हुई
दीवारों को हर प्रहार के साथ थोड़ा-थोड़ा खोलता
जाता है, मानो एक नया रास्ता बना रहा हो।
मेरा आशय है कि लड़की को भी उसकी इस निरंतर अंदर से
खुलती हुई योनि का आभास सुखदायक होता होगा और
उसको अब पहली बार चिंता-मुक्त आनन्द की अनुभूति
होती होगी। जब ऐसा होगा तो लड़की के माथे से शिकन
मिट जायेगी, उसका कसा हुआ शरीर थोड़ा शिथिल हो
जायेगा और वह मैथुन से मानसिक विरोध बंद कर देगी।
फिर हौले-हौले उसका साहस बढ़ेगा और हो सकता है वह
सम्भोग में सहयोग भी करने लगे। वह कितनी जल्दी सहयोग
करने लगती है यह पुरुष के यौन-सामर्थ्य, उसके आचरण और अपने
साथी के प्रति उसकी चिंता पर निर्भर है। पुरुष जितना
लड़की का ध्यान रखेगा, लड़की उससे भी ज्यादा उसका
सहयोग करेगी और उसे खुश रखने का भरपूर प्रयास करेगी। यह
बात यौन में ही नहीं, जीवन के हर पहलू में लागू हैं।
अब वह स्थिति आ गई है जब पुरुष चाहे तो अपना पूरा लिंग
अंदर-बाहर करना शुरू कर सकता है। और उसे यह करना भी
चाहिए क्योंकि तब ही उसे मैथुन का पूरा मज़ा आएगा।
अगर लिंग को जड़ तक अंदर बार-बार नहीं पेला तो क्या
सम्भोग किया !! जहाँ तक लड़कियों का सवाल है, उनकी
योनि कि तंत्रिकाएँ योनि-द्वार से करीब दो इंच अंदर
तक ही होती हैं। उसके बाद योनि में कोई अहसास का
माध्यम नहीं होता। इसीलिए लड़की को यौन सुख देने के
लिए ढाई इंच का लिंग भी काफी है। बड़ा लिंग होना
तो मर्दों की सनक है जिसे वे मर्दानगी का द्योतक मान
बैठे हैं वरना औरतों को तो मर्दानगी उनके आचरण और
व्यवहार में दिखती है .... उनकी शिष्टता, शौर्य और
खुद्दारी में दिखती है, ना कि उनके लिंग की लम्बाई में।
अकसर मर्द किसी कुंवारी लड़की को भेदने के बाद ज्यादा
देर तक मैथुन नहीं कर पाता क्योंकि उसकी उत्तेजना एक नई
योनि के आभास से शीघ्र ही चरम सीमा तक पहुँच जाती ह
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